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 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 

UGC Net Sanskrit 25 Syllabus & Study Material / यूजीसी नेट संस्कृत कोड 25 पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री


संस्कृत नेट जेआरएफ कोड 25 पाठ्यक्रम

इकाई - I

वैदिक साहित्य

(क) वैदिक साहित्य का सामान्य परिचय

🔹 वेदों का काल : मैक्समूलर , ए . वेबर , जैकोबी , बालगंगाधर तिलक , एम . विन्टरनित्ज , भारतीय  परम्परागत विचार 

🔹 संहिता साहित्य 

🔹 संवाद सूक्त : पुरुरवा - उर्वशी , यम - यमी , सरमा पणि , विश्वामित्र नदी 

🔹 ब्राह्मण साहित्य 

🔹 आरण्यक साहित्य 

🔹 वेदांग : शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त , छन्द , ज्योतिष


इकाई- II 

( ख ) वैदिक साहित्य का विशिष्ट अध्ययन : 

1. निम्नलिखित सूक्तों का अध्ययन : 

🔹ऋग्वेद : 
      अग्रि ( 1.1 ) , वरुण ( 1.25 ) , सूर्य  (1.125 ) , इन्द्र ( 2.12 ) , उपस् ( 3.61 ), 
      पर्जन्य - ( 5.83 ) , अक्ष ( 10.34 ) , ज्ञान (10.71) , पुरुष ( 10.90 ) , हिरण्यगर्भ (10.121 ) , वाक् ( 10.125 ) ,                 नासदीय  (10.129 )

🔹शुक्लयजुर्वेदः - शिवसंकल्प , अध्याय 34 ( 1-6 ) , - प्रजापति , अध्याय 23 ( 1-5 ) 

🔹अथर्ववेद : राष्ट्राभिवर्धनम् ( 1.29 ) काल ( 10.53 ) पृथिवी ( 12.1 ) 

2.ब्राह्मण - साहित्य : 
   प्रतिपाद्य विषय , विधि एवं उसके प्रकार , अग्निहोत्र , अग्निष्टोम , दर्शपूर्णमास यज्ञ , पंचमहायज्ञ , आख्यान ( शुन : शेप ,         वाङ्मनस् ) । 

3.उपनिषद् - साहित्य : 
    निम्नलिखित उपनिषदों की विषयवस्तु  तथा प्रमुख अवधारणाओं का अध्ययन : ईश , कठ , केन  ,बृहदारण्यक , तैत्तिरीय ,      श्वेताश्वतर । 

4.वैदिक व्याकरण , निरुक्त एवं वैदिक व्याख्या पद्धति : 
    • ऋक्प्रातिशाख्य : निम्नलिखित परिभाषाएँ समानाक्षर , सन्ध्यक्षर , अघोष , सोष्म , स्वरभक्ति , यम , रक्त , 
      संयोग , प्रगृह्य , रिफित । 

🔹निरुक्त (अध्याय 1 तथा 2 ) 
      चार पद नाम विचार , आख्यात विचार , उपसर्गों का अर्थ , निपात की - कोटियाँ
 
🔹निरुक्त अध्ययन के प्रयोजन 

🔹निर्वचन के सिद्धान्त 

🔹निम्नलिखित शब्दों की व्युत्पत्ति : 
      आचार्य , वीर , ह्रद , गो , समुद्र , वृत्र , आदित्य , उषस् , मेघ , वाक् , उदक , नदी , अश्व , अग्नि , 
       जातवेदस् , वैश्वानर , निघण्टु । 

🔹निरुक्त ( अध्याय 7 दैवत काण्ड ) 

🔹वैदिक स्वर : उदात्त , अनुदात्त तथा स्वरित । 

🔹वैदिक व्याख्या पद्धति : प्राचीन एवं अर्वाचीन

इकाई- III


दर्शन- साहित्य 

( क ) प्रमुख भारतीय दर्शनों का सामान्य परिचय : 

     प्रमाणमीमांसा , तत्त्वमीमांसा , आचारमीमांसा ( चार्वाक , जैन , बौद्ध , न्याय , सांख्य , योग , न्याय , वैशेषिक , मीमांसा के       संदर्भ में )

इकाई- IV


( ख ) दर्शन - साहित्य का विशिष्ट अध्ययन : ● - 

🔹ईश्वरकृष्ण ; सांख्यकारिका 

      सत्कार्यवाद , पुरुषस्वरूप , प्रकृतिस्वरूप , सृष्टिक्रम , प्रत्ययसर्ग , कैवल्य |


🔹सदानन्द ; वेदान्तसार
     अनुबन्ध - चतुष्ट्य , अज्ञान , अध्यारोप - अपवाद , लिंगशरीरोत्पात्ति , पंचीकरण , विवर्त , महावाक्य , जीवन्मुक्ति ।

🔹अन्नंभट्टः तर्कसंग्रह / केशव मिश्र ; तर्कभाषा
     पदार्थ , कारण , प्रमाण ( प्रत्यक्ष अनुमान , उपमान , शब्द ) , प्रामाण्यवाद , प्रमेय 

🔹1.लौगाक्षिभास्कर ; अर्थसंग्रह 

🔹2. पतंजलि योगसूत्र , - ( व्यासभाष्य ) :
     चित्तभूमि , चित्तवृत्तियाँ , ईश्वर का स्वरूप , योगाङ्ग , समाधि , कैवल्य | 

🔹3. बादरायण ; ब्रह्मसूत्र 1.1 (शांकरभाष्य)
 
🔹4. विश्वनाथपंचानन ; न्यायसिद्धान्तमुक्तावली (अनुमानखण्ड)
 
🔹5. सर्वदर्शनसंग्रह ; जैनमत , बौद्धमत

इकाई- V 

व्याकरण एवं भाषाविज्ञान 

( क ) सामान्य परिचय : निम्नलिखित आचार्यों का परिचय - 

     • पाणिनि , कात्यायन , पतंजलि , भर्तृहरि , वामनजयादित्य , भट्टोजिदीक्षित , नागेशभट्ट , जैनेन्द्र , कैय्यट , शाकटायन , हेमचन्द्रसूरि , सारस्वतव्याकरणकार । 

पाणिनीय शिक्षा 

● भाषाविज्ञान : 
     भाषा की परिभाषा , भाषा का वर्गीकरण ( आकृतिमूलक एवं पारिवारिक ) , ध्वनियों का वर्गीकरण : स्पर्श , संघर्षी , अर्धस्वर , स्वर ( संस्कृत ध्वनियों के विशेष संदर्भ में ) , मानवीय ध्वनियंत्र , ध्वनि परिवर्तन के कारण , ध्वनि नियम ( ग्रिम , ग्रासमान , वर्नर ) 
अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ एवं कारण , वाक्य का लक्षण व भेद , भारोपीय परिवार का सामान्य परिचय , वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत में अन्तर , भाषा तथा वाक् में अन्तर , भाषा तथा बोली में अन्तर । 

इकाई- VI

व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन 

 • परिभाषाएँ

     संहिता , संयोग , गुण , वृद्धि , प्रातिपदिक , नदी , घि , उपधा , अपृक्त , गति , पद , विभाषा , सवर्ण , टि , प्रगृह्य ,                    सर्वनामस्थान , भ , सर्वनाम , निष्ठा । 

• सन्धि  - 

अच् सन्धि , हल् सन्धि , विसर्ग सन्धि ( लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार ) 

• सुबन्त - अजन्त - 

राम , सर्व ( तीनों लिंगों में ) , विश्वपा , हरि , त्रि ( तीनों लिंगों में ) , सखि , सुधी , गुरु , पितृ , गौ , रमा , मति , नदी , धेनु , मातृ , ज्ञान , वारि , मधु ।

हलन्त-  

 लिहू , विश्ववाह , चतुर् ( तीनों लिंगों में ) , इदम् ( तीनों लिंगों में ) , किम् ( तीनों लिंगों में ) , तत् ( तीनों लिंगों में ) , राजन् , मघवन् , पथिन् , विद्वस् ,  अस्मद् , युष्मद् । 

• समास - 

अव्ययीभाव , तत्पुरुष , बहुव्रीहि , द्वन्द्व , ( लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार )

• तद्धित-  

अपत्यार्थक एवं मत्वर्थीय ( सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार )  तिङन्त - भू , एधु , अद् , अस् , हु , दिव् , षुञ् , तुद् , तन् , कृ , रुध् , क्रीञ् , चुर् । .

 प्रत्ययान्त - 

णिजन्त ; सन्नन्त ; यङन्त ; यङ्लुगन्त ; नामधातु । . 

कृदन्त - 

तव्य / तव्यत् ; अनीयर् यत् ; ण्यत् ; क्यप् ; शतृ ; शानच् ; क्त्वा ; क्त ; क्तवतुः तुमुन् ; णमुल् । 

• स्त्रीप्रत्यय लघुसिद्धान्त कौमुदी के अनुसार 
• कारक प्रकरण सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार 
● परस्मैपद एवं आत्मनेपद विधान सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार 
• महाभाष्य ( पस्पशाह्निक ) - 

शब्दपरिभाषा , शब्द एवं अर्थ संबंध , व्याकरण अध्ययन के उद्देश्य , व्याकरण की परिभाषा , साधु शब्द के प्रयोग का परिणाम , व्याकरण पद्धति ।

वाक्यपदीयम् ( ब्रह्मकाण्ड ) - 

स्फोट का स्वरूप , शब्द- ब्रह्म का स्वरूप , शब्द- ब्रह्म की शक्तियाँ , स्फोट एवं ध्वनि का संबंध , शब्द- अर्थ संबंध , ध्वनि के प्रकार , भाषा के स्तर ।